भोपाल / शहर काजी का ऐलान- शादियों में जाऊंगा, लेकिन फिजूलखर्ची या दहेज दिखा तो बिना खाना खाए लौट आऊंगा
भोपाल. मसाजिद कमेटी की बैठक में मंगलवार को शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी ने ऐलान किया है कि मैं
शादियों में तो जाऊंगा, लेकिन फिजूलखर्ची या दहेज का लेन-देन दिखा तो बिना खाना खाए लौट आऊंगा। दरअसल, मंगनी, निकाह, बारात और वलीमा (रिस्पेशन) के नाम पर फैली कुरीतियों को रोकने के लिए समाज के वरिष्ठजनों ने गंभीरता से मंथन किया।
शहर काजी का कहना है कि खास तौर पर लड़की पक्ष के लोगों को बारातियों को खाना खिलाने का इंतजाम नहीं करना चाहिए। इसके लिए जन जागरण मुहिम शुरू कर दी गई है। वैसे भी इस्लाम में दहेज की कोई अवधारणा नहीं है। ऐसे में समाज में फैली कुरीतियों को सख्ती से मिटाने के लिए मस्जिदों के माध्यम से जागरुकता अभियान चलाने का निर्णय भी लिया गया। बैठक में मुफ्ती अब्दुल कलाम कासमी, मुस्लिम बेदार ग्रुप के सईद उर जफर समेत विभिन्न उलेमा भी मौजूद रहे।
अपील... वलीमा दिन में ही करने पर दिया जाएगा जोर
मुस्लिम समाज में शादी-ब्याह के नाम पर ऐसी रस्में प्रचलन में आ गई हैं, जिनका इस्लाम और शरीअत से कोई रिश्ता नहीं है। फिजूलखर्ची का बोझ उन परिवारों पर पड़ता है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इसके अलावा रात में मांगलिक कार्यक्रमों को समाज में खर्चों का बोझ डालने वाला बताया गया। बैठक में तय हुआ कि अब उलेमा समेत मस्जिदों के इमाम-मुअज्जिनों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा। इसके लिए मस्जिदों में बैठके होंगी। इनमें मसाजिद कमेटी के पदाधिकारी समेत उलेमा शिरकत कर पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब एवं कुरान के संदेश से लोगों को अवगत कराएंगे। इस दौरान लोगों को समझाइश दी जाएगी कि वे कई तरह की बेवजह की रस्मों को बंद करें। वैवाहिक खाना सीमित रखें। दिन में वलीमा (रिसेप्शन) करने पर जोर दिया जाएगा।
शिकायतें मिलने पर बुलाई बैठक मसाजिद कमेटी के अध्यक्ष मौलवी अब्दुल हफीज खान का कहना है कि इस्लाम कहता है कि अपनी खुशी के आयोजन भी सादगी से करो ताकि कमजोर वर्ग का व्यक्ति हीन भावना से ग्रस्त न हो। मसाजिद कमेटी के सचिव एसएम सलमान का कहना है कि हमें कई शिकायतें मिली थीं। इसके कारण शहर काजी समेत उलेमाओं की बैठक बुलाई गई थी। इसमें कुप्रथाओं के खिलाफ जागरुकता मुहिम चलाने का निर्णय हुआ है।